उत्तरी कोयल पलामू की प्रमुख नदियो मे से एक है। यह छोटानागपुर पठार से निकलकर रुद के पास नेतरहाट से होकर लातेहार जिले में प्रवेश करती है। लगभग 32 किलोमीटर पश्चिम की ओर बहने के बाद, यह कुटकू में लगभग पूर्ण समकोण बनाकर उत्तर की ओर मुड़ जाती है तथा पलामू जिले के डालटनगंज से होकर बहते हुये यह उत्तर-पश्चिम में कुछ मील की दूरी पर हैदरनगर के पास सोन नदी मे मिल जाता है ।
इसकी लंबाई लगभग सोन नदी के साथ इसके स्रोत से इसके जंक्शन तक 260 किलोमीटर है । चूंकि यह कम से कम 9,100 वर्ग किलोमीटर के जलग्रहण क्षेत्र से होकर गुजरती है। यह स्वाभाविक रूप से सोन को पानी की बड़ी आपूर्ति में महत्वपुर्ण योगदान देता है। बारिश के दौरान या किसी अन्य समय में धारा इतनी तेज़ और गहरी नहीं होती कि छोटे आकार की मालवाहक जहाज डाल्टनगंज तक अपना रास्ता बना सकें। कई जगहों पर इस नदी की मनमोहक सुंदरता और भव्यता के प्रदर्शन करती है,जैसे कि सफेद चट्टानी परत और हुटार के पास कि जलधारा तथा कुटकू के पास समकोण बनाती हुई धारा का घुमाव। चंदवा-बालूमाथ मार्ग के पश्चिम में उत्तरी कोयल और दामोदर के बीच जल विभाजक का निर्माण कराने वाली रूपांतरित चट्टानों का उल्लेख किया जा सकता है। उत्तरी कोयल अपनी सहायक नदियों के साथ बेतला राष्ट्रीय उद्यान के उत्तरी भाग से होकर डाल्टनगंज,गढ्वा, उंटारी रोड खरसोता,बलियारी होते हुये हैदरनगर के पास सोन नदी मे मिल जाती है।
उतरी कोयल की प्रमुख सहायक नदियाँ औरंगा और अमानत हैं, जो दोनों इसे पूर्व से जोड़ती हैं। पूर्व मे केचकी से 16 किलोमीटर और बाद में डालटनगंज से 8 किलोमीटर
उत्तर में मिलती है । एक अन्य सहायक नदी बुरहा है,जो बागचंपा में कुटकू के ऊपर उत्तरी कोयल में मिलती है।